केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका (सीआरआर) में पञ्जीकरण
(इस सम्बन्ध में सभी पूर्ववर्ती मार्गदर्शी सिद्धान्तों / परिपत्रों का अधिक्रमण करते हुये जारी निर्देश जो 2023-24 से प्रभावी हैं)
भारतीय पुनर्वास अधिनियम, 1992 की धारा 13 के अनुसार, “ ऐसे पुनर्वास वृत्तिक से, जिसके पास मान्यताप्राप्त पुनर्वास अर्हता है, भिन्न कोई व्यक्ति, ----
- सरकार या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी द्वारा घोषित किसी संस्था में पुनर्वास वृत्तिक के रूप में पद या कोई ऐसा पद (जो किसी भी पदनाम से ज्ञात हो) धारण नहीं करेगा
- भारत में पुनर्वास वृत्तिक के रूप में व्यवसाय नहीं करेगा
- कोई ऐसा प्रमाणपत्र, जिसका पुनर्वास वृत्तिक द्वारा हस्ताक्षरित या अधिप्रमाणित किया जाना किसी विधि द्वारा अपेक्षित है, हस्ताक्षरित या अधिप्रमाणित करने का हक़दार नहीं होगा
- असुविधाग्रस्त से सम्बन्धित किसी विषय परभारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 45 के अधीन विशेषज्ञ के रूप में हस्ताक्षरित या अधिप्रमाणित करने का हक़दार नहीं होगा।“
भारतीय पुनर्वास परिषद् में पञ्जीकृत और मान्यताप्राप्त एवं सक्रिय पञ्जीकरण रखने वाले व्यक्तियों को भारत के किसी भी भाग में पुनर्वास वृत्तिक/कार्मिक के रूप में व्यवसाय करने का हक़ होगा और उन्हें ऐसे व्यवसाय की बाबत औषधियों या अन्य साधित्रों पर कोई व्यय, प्रभार या कोई शुल्क, जिसके वे हक़दार हो, विधि के सम्यक् अनुक्रम में वसूल करने का भी हक़ होगा।
भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम, 1992 के अधीन वृत्तिकों की श्रेणियाँ
मान्तताप्राप्त पुनर्वास अर्हता रखने वाले वृत्तिकों / कार्मिकों की निम्नलिखित श्रेणियों को भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुरक्षित केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकृत किया जाता है।
परिषद् की मान्यताप्राप्त अर्हता रखने वाले पुनर्वास वृत्तिक / कार्मिक ख़ुद को केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकृत कराने के लिये अपने आवेदन ऑनलाइन भेजें।
1. श्रवण वैज्ञानिक और वाक् चिकित्सक
2. लाक्षणिक मनोविज्ञानी
3. श्रवण सहाय और कर्णसंच तकनीशियन
4. पुनर्वास इंञ्जीनियर और तकनीशियन
5. दिव्यांगजन के शिक्षण और प्रशिक्षण के लिये विशेष अध्यापक
6. व्यवसाय परामर्शी, रोज़गार अधिकारी और स्थानन अधिकारी
7. बहुउद्देशीय पुनर्वास चिकित्सक, तकनीशियन
8. वाक् विकृति विज्ञानी
9. पुनर्वास मनोविज्ञानी
10. पुनर्वास सामाजिक कार्यकर्ता
11. मानसिक मन्दता में पुनर्वास चिकित्सक
12. दिक् विन्यास एवं गतिशीलता विशेषज्ञ
13. समुदाय आधारित पुनर्वास वृत्तिक
14. पुनर्वास परामर्शी, प्रशासक
15. कृत्रिमांग शल्यविज्ञानी एवं कृत्रिम अंगविज्ञानी
16. पुनर्वास कार्यशाला प्रबन्धक
17. कोई अन्य
निबन्धन एवं शर्तेः
भारतीय पुनर्वास अधिनियम,1992 की धारा 19 के तहत नवीन पञ्जीकरणः
- केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकरण हेतु जो वृत्तिक अर्हता रखते हैं, वे अनुमोदित पाठ्यक्रम के समापन की तारीख़ से 6 माह के भीतर अपने नाम परिषद् में पञ्जीकृत करायेंगे।
- समूची पञ्जीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन है। अतः आवेदन देने से पूर्व वैबसाइट पर उपलब्ध मार्गदर्शी सिद्धान्त भली-भाँति पढ़ लें।
- भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित अर्हता रखने वाले अभ्यर्थी ही केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकरण हेतु ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं।
- प्ररूप में भरा जाने वाला विवरण संलग्न प्रमाणपत्रों के अनुसार सही एवं सटीक होना चाहिये।
- पञ्जीकरण के लिये अपेक्षित सभी संलग्नक सम्बन्धित मूल प्रलेख की रंगीन स्कैन्ड प्रतियों के रूप में होने चाहिये।
- नवीन पञ्जीकरण के लिये शुल्क हैः ₹1000/- और इसका भुगतान ऑनलाइन किया जाना है।
पञ्जीकरण का नवीयनः
- सभी पञ्जीकृत वृत्तिकों को परिषद् के साथ अपने पञ्जीकरण का नवीयन 5 वर्ष में एक बार कराना होगा।
- पञ्जीकरण के नवीयन की समूची प्रक्रिया ऑनलाइन सम्पन्न होगी।
- 5 वर्षों के बाद पञ्जीकरण के नवीयन के लिये 100 सतत पुनर्वास शिक्षांक सञ्चय प्रणाली के तहत 100 अंकों का सञ्चित होना ज़रूरी है।
- प्रत्येक पञ्जीकृत वृत्तिक / कार्मिक / ज्ञान स्रोत व्यक्ति हर वर्ष न्यूनतम 10 अंक एवं 50 से अनधिक अंक अर्जित कर सकता है। एक प्रतिभागी एक वर्ष में 50 सतत पुनर्वास शिक्षांक से अधिक के कार्यकलाप तो सम्पन्न कर सकता है, किन्तु उसके खाते में 50 सतत पुनर्वास शिक्षांक ही जोड़े जायेंगे। तथापि, अधिशेष अंकों के लिये सहभागिता अथवा उत्तीर्ण प्रमाणपत्र प्रदान किया जायेगा।
- केवल ज्ञान स्रोत व्यक्ति के तौर पर सतत पुनर्वास शिक्षा सत्रों में सहभागिता, अथवा शोध-पत्र प्रस्तुति, अथवा उच्चतर शिक्षा ग्रहण आदि के आधार पर ही अर्जित सतत पुनर्वास शिक्षांक नवीयन के प्रयोजनार्थ पर्याप्त नहीं माने जायेंगे, बल्कि वैब-संगोष्ठियों में ऑनलाइन/भौतिक सहभागिता, अथवा सरकारी योजनाओं या प्रायोगिक अधिगम में भाग लेना जैसी गतिविधियों के ज़रिये न्यूनतम 30 सतत पुनर्वास शिक्षांक (100 शिक्षांकों में से) अर्जित करना भी ज़रूरी है। यह मापदण्ड 1 जनवरी 2024 से देय नवीयन शुल्क पर लागू होगा।
- भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा अनुमोदित सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों में सहभागिता के पलस्वरूप अर्जित सतत पुनर्वास शिक्षांकों को वैब-सूचना पटल पर देखा जा सकता है। जहाँ तक अन्य सतत पुनर्वास शिक्षांकों का सम्बन्ध है, इस बारे में सतत पुनर्वास शिक्षा के मार्गदर्शी सिद्धान्तों में यथा वर्णित, मूल प्रमाणपत्रों की स्कैण्ड प्रतियाँ सतत पुनर्वास शिक्षांकों के अर्जन हेतु अनुरोध पत्र के साथ संलग्न की जायें।
- पञ्जीकरण के नवीयन का शुल्क ₹500 है, और इस राशि का भुगतान ऑनलाइन किया जाना है।
टिप्पणीः पञ्जीकरण का नवीयन कराने में विलम्ब होने की स्थिति में, नवीयन शुल्क की देय तारीख़ के बाद पहले तीन माह अर्थदण्ड से छूट दी जायेगी। इसके बाद, विलम्ब के प्रत्येक माह के लिये ₹100 के हिसाब से अर्थदण्ड चुकाना होगा।
अर्हताओं में परिवर्धनः
- पञ्जीकरण के उपरान्त, यदि भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित कोई अन्य अर्हता अर्जित की जाती है, तो इसे अर्हता में परिवर्धन माना जायेगा।
- अर्हता में परिवर्धन की प्रक्रिया ऑनलाइन है।
- प्ररूप में भरी जाने वाली जानकारी सही और संलग्न प्रमाणपत्रों के अनुरूप होनी चाहिये।
- सभी संलग्नक सम्बन्धित मूल प्रमाणपत्रों की रंगीन स्कैण्ड प्रतियों के रूप में होने चाहिये।
- अर्हता में परिवर्धन का शुल्क ₹500 है, जिसका भुगतान ऑनलाइन किया जाना है।
उत्तम प्रतिष्ठा प्रमाणपत्रः:
- उत्तम प्रतिष्ठा प्रमाणपत्र केवल उन्हीं पञ्जीकृत वृत्तिकों/कार्मिकों को जारी किया जाता है, जिनके पास वैध और सक्रिय पञ्जीकरण है।
- आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है।
- सभी संलग्नक सम्बन्धित मूल प्रमाणपत्रों की रंगीन स्कैण्ड प्रतियों के रूप में होने चाहिये।
- आवेदन प्ररूप के स्तम्भ ‘6’ में यथा वर्णित चरित्र एवं आचरण शंसापत्र प्रतिष्ठित व्यक्तियों जैसे, राजपत्रित अधिकारी, संसद-सदस्य, विधानसभा-सदस्य / प्रथम श्रेणी मैजिस्ट्रेट, महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं वहाँ के किसी भी विषय के आचार्य की ओर से अथवा इन्हीं जैसे अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की ओर से निर्गत होने चाहिये।
- स्तम्भ ‘7’ में सन्दर्भ के लिये जिन व्यक्तियों के नामों का उल्लेख हो, उनके पूरे और सही पते अंकित किये जायें, ताकि उनसे पत्राचार किया जा सके। इस स्तम्भ में उल्लिखित व्यक्ति वही व्यक्ति नहीं होने चाहिये जिन्होंने आवेदन के स्तम्भ ‘6’ में यथा वाञ्छित प्रमाणपत्र जारी किया है।
- आवेदन प्रस्तुति के उपरान्त, उत्तम प्रतिष्ठा प्रमाणपत्र की हस्ताक्षरित भौतिक प्रति स्तम्भ ‘6’ व ‘7’ में यथा वर्णित मूल प्रलेखों के साथ भारतीय पुनर्वास परिषद् को भेजा जाना अपेक्षित है।
- उत्तम प्रतिष्ठा प्रमाणपत्र के लिये ₹1500 का शुल्क निर्धारित है, जिसका भुगतान ऑनलाइन करना होगा।
पूर्व-पञ्जीकरण प्रक्रियाः
भारतीय पुनर्वास परिषद् का यह एक नवोन्मेषी क़दम है। प्रत्येक अभ्यर्थी जो भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम (प्रमाणपत्र/डिप्लोमा/स्नातक/अन्य) में नामांकन कराता है, उसे पूर्व-पञ्जीकरण के लिये आवेदन देना होगा, जिसमें पाठ्यक्रम एवं संस्थान विवरण, नामांकन संख्या, आधार संख्या, ईमेल आईडी आदि का उल्लेख होगा। इसके लिये, ₹100 का नाममात्र शुल्क देना होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन पर अभ्यर्थी को केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका संख्या बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के प्राप्त हो जायेगी।
पूर्व-पञ्जीकरण वाले अभ्यर्थियों के लिये, भारतीय पुनर्वास परिषद् पूर्व-सतत पुनर्वास शिक्षांक मंज़ूर करेगी, ताकि ये विद्यार्थी भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अनुशीलन करने के प्रयोजन से प्रतिवर्ष अधिकतम 10 सतत पुनर्वास शिक्षांक वाले (ऑनलाइन, भौतिक, अनुभवात्मक) सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों में भाग ले सकें। जो सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा सीधे सञ्चालित किये जाते हैं, उन कार्यक्रमों के लिये कोई शुल्क प्रभार्य नहीं होगा। विद्यार्थीगण अपने-अपने पाठ्यक्रमों के सफल समापन पर जब भारतीय पुनर्वास परिषद से केन्द्रीय पञ्जीकरण संख्या प्राप्त करते हैं, तब उनके खातों में शिक्षांक जोड़ दिये जायेंगे।