सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरई) के मानक एवं मार्गदर्शी सिद्धान्त

(1 अप्रैल 2023 व उसके बाद से प्रभावी)

भारतीय पुनर्वास परिषद् पर दिव्यांगता और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास, मानकीकरण एवं निगरानी का दायित्व है। दिव्यांगता के क्षेत्र में काम करने के लिये भारतीय पुनर्वास परिषद् की केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकरण कराना बाध्यकारी है। भारतीय पुनर्वास परिषद् पर यह सुनिश्चित करने का अतिरिक्त दायित्व है कि इन क्षेत्रों में वृत्तिक/ कार्मिक अपने ज्ञान और कौशल को सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरआर) कार्यक्रम के ज़रिये निरन्तर अद्यतन एवं उन्नत करते रहें। सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरआर) के उद्देश्य, और सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरआर) कार्यक्रम सञ्चालित करने के लिये मानक / मार्गदर्शी सिद्धान्त नीचे प्रस्तुत हैं:

उद्देश्य

  • भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992 की धारा 19 के अनुसार, परिषद् में पञ्जीकृत सेवारत एवं व्यवसायरत पुनर्वास वृत्तिकों / कार्मिकों के ज्ञान और कौशल को उन्नत करना।
  • दिव्यांगता पुनर्वास और विशेष शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत निष्णात प्रशिक्षकों के ज्ञान व कौशल को अद्यतन करना।

सतत पुनर्वास शिक्षा (सीआरआर) कार्यक्रम की कार्यप्रणाली:

  • ऑनलाइन प्रणालीः : प्रौद्योगिकी मञ्च का प्रबन्ध भारतीय पुनर्वास परिषद् करती है। सभी प्रतिभागी केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका में पञ्जीकृत अपने मोबाइल का उपयोग करते हुये वैब-संगोष्ठी आरम्भ होने के निर्धारित समय तक पूर्व-पञ्जीकरण करायेंगे और मोबाइल ओटीपी सत्यापन के ज़रिये लॉग-इन करेंगे। ज्ञान स्रोत व्यक्ति की उपलब्धता संस्थान द्वारा सुनिश्चित की जायेगी। संस्थान निर्धारित कार्यक्रम से अधिकतम दो दिन पहले तक सम्बन्धित ज्ञान स्रोत व्यक्ति से विषयवार बहु विकल्पी प्रश्न (4 प्रश्न प्रति घण्टे की दर से) के एक समुच्चय की व्यवस्था करेगा, जिसका वैब-संगोष्ठी प्रारम्भ होने से पूर्व क्रमादेशन (प्रोग्रामन) भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा किया जायेगा और कार्यक्रम के दौरान इसे यादृच्छिक समय-अन्तराल पर दर्शकों को दिखाया जायेगा। सभी प्रतिभागियों को अल्प समय-सीमा के भीतर इन प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन देने होंगे, ताकि उनकी उपस्थिति और सावधानता की परख हर समय सुनिश्चित की जाती रहे। वैब-संगोष्ठी की समाप्ति पर मूल्यांकन पत्र तुरन्त प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रदर्शित कर दिया जायेगा। सतत पुनर्वास शिक्षांक अर्जन की पात्रता हासिल करने के लिये प्रतिभागियों को समग्रतः 70% या अधिक अंक प्राप्त प्राप्त करना अपेक्षित है। सही उत्तरों के आधार पर उन्हें सतत पुनर्वास शिक्षा के तहत उत्तीर्ण/अनुत्तीर्ण घोषित किया जायेगा और तदनुसार उनके सतत पुनर्वास शिक्षांक उत्पादित होंगे और इन अंकों को भारतीय पुनर्वास परिषद् के डेटाबेस में जोड़ दिया जायेगा। इस डेटाबेस में भारतीय पुनर्वास परिषद् के पोर्टल पर प्रतिभागी विशेष के पञ्जीकरण वैबपटल (डैशबोर्ड) के ज़रिये प्रवेश किया जा सकता है। ऑनलाइन सतत पुनर्वास शिक्षा की सभी कार्यवाहियों को अभिलिखित करने, सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के दौरान यादृच्छिक चित्र एकत्र करने और बाद में अभिलिखित कार्यक्रम को इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया चैनलों पर प्रसारित करने के अपने अधिकार भारतीय पुनर्वास परिषद् के पास आरक्षित हैं। प्रत्येक ऑनलाइन व्याख्यान प्ररूपी तौर पर 45 मिनटों का होगा और इसके बाद 15 मिनट प्रतिभागियों से विचार-विमर्श किया जायेगा। भारतीय पुनर्वास परिषद् सतत पुनर्वास शिक्षा के अनेक कार्यक्रम सीधे भी आयोजित करेगी। .
  • ऑफ़लाइन प्रणालीः संस्थान सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम, स्थानीय/ज़िला स्तर पर, वरीयतः अपने परिसर में या वरीयतः विशेष शिक्षा समावेशी विद्यालय/महाविद्यालय परिसर में आयोजित करेगा। उच्च ज्ञान स्रोत व्यक्ति (व्यक्तियों) का इन्तज़ाम किया जायेगा। प्रत्येक ज्ञान स्रोत व्यक्ति द्वारा हरेक प्रतिभागी का समुचित मूल्यांकन किया जायेगा और इसी मूल्यांकन के आधार पर सतत पुनर्वास शिक्षांक स्वीकृत किये जायेंगे। प्रश्न बहु विकल्पी स्वरूप के होंगे और ये प्रश्न न केवल पॉवर प्वाइण्ट के ज़रिये प्रदत्त अन्तर्वस्तु पर बल्कि सञ्चालित सत्रों पर भी आधारित होंगे। प्रतिभागियों को सतत पुनर्वास शिक्षांकों की पात्रता के लिये समग्रतः 70% या अधिक अंक प्राप्त करने होंगे। भारतीय पुनर्वास परिषद् मोबाइल ऐप भी उपलब्ध करा सकती है, जिसके ज़रिये प्रतिभागी प्रश्नों का उत्तर देंगे। भारतीय पुनर्वास समिति अनेक सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम सीधे भी आयोजित कर सकेगी। सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के आयोजन के लिये, भारतीय पुनर्वास परिषद् राष्ट्रीय संस्थानों/केन्द्रीय पुनर्वास समितियों/पुनर्वास समितियों अथवा किसी अन्य अभिकरण का सहयोग ले सकती है।
  • अनुभवात्मक प्रणालीः : (भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा यह प्रणाली प्रायोगिक आधार पर सीधे सञ्चालित की जानी है) कक्षा-कक्ष स्वरूप के प्रशिक्षण के अलावा, वास्तविक अनुभवात्मक अभिगम को बढ़ावा दिया जायेगा। यह बढ़ावा अनुसन्धान संस्थानों, विनिर्माण इकाइयों, प्रारम्भिक हस्तक्षेप केन्द्रों, आँगनवाड़ियों, शिक्षा संस्थानों के निरीक्षण के ज़रिये तथा एडीआईपी//यूडीआईडी, स्किल्स, डीडीआरएस आदि जैसी सरकारी योजनाओं में सहभागिता/सर्वेक्षण के ज़रिये दिया जा रहा है। इस प्रकार, सहायक प्रौद्योगिकी, सहायता प्रकरणों, केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं की क्षेत्र स्तरीय कार्य प्रणाली का अनुभव प्राप्त करने से सतत पुनर्वास शिक्षांकों का अर्जन होता है।

संस्थानों/संगठनों के लिये पात्रता शर्तें:

  • भारतीय पुनर्वास परिषद् का विधिमान्य अनुमोदन प्राप्त संस्थान से ही परिषद् अनुमोदित प्रशिक्षण।
  • राष्ट्रीय स्तर के व्यावसायिक संघ और/अथवा राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का कोई अन्य संगठन जिन्हें दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करने का कम से कम 3 वर्षों का अनुभव हो और जिनके पास विधिमान्य सोसायटी पञ्जीकरण/ट्रस्ट/कम्पनी पञ्जीकरण हो।
  • राष्ट्रीय संस्थान/सीआरसी/आरसी सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के लिये किसी अन्य संस्थान के साथ सहयोग नहीं करेंगे और ये कार्यक्रम वे अपने ख़ुद के परिसरों में ही सञ्चालित करेंगे। प्रत्येक राष्ट्रीय संस्थान/सीआरसी/आरसी सतत पुनर्वास शिक्षा मानकों का अनुपालन करते हुये अपने आवेदन भारतीय पुनर्वास परिषद् की वैबसाइट पर सीधे प्रस्तुत करेंगे।
  • किसी ऑनलाइन/भौतिक/अनुभवात्मक कार्यक्रम को सतत पुनर्वास शिक्षा का स्तर प्रदान करने के लिये, प्रस्ताव कम से कम 30 दिन पूर्व भारतीय पुनर्वास परिषद् की वैबसाइट पर प्रस्तुत किया जायेगा।
  • ऑनलाइन प्रणाली के लिये सूचना और सञ्चार प्रौद्योगिकी अपेक्षायें (भारतीय पुनर्वास परिषद् वैब-संगोष्ठी पटल के लिये बाध्यकारी):
    • ऑनलाइन सतत पुनर्वास शिक्षा के लिये संस्थान और सहभागी स्तरों पर पर्याप्त इण्टरनेट सम्पर्क सुनिश्चित करना।
    • प्रत्येक वक्ता के लिये, बात-चीत अदायगी की दृष्टि से माइक युक्त डेस्कटॉप/लैपटॉप, स्पीकर, उचित कैमरे का प्रबन्ध करना। प्रकाश व्यवस्था उचित होनी चाहिये और पृष्ठभूमि में किसी तरह का शोर-ग़ुल नहीं होना चाहिये।
    • संस्थान द्वारा सभी अभिगम सुविधायें/अनुकूलन स्थितियाँ सुनिश्चित की जानी चाहिये, ताकि दिव्यांग प्रतिभागियों को किसी तरह की असुविधा या मुश्किल का सामना न करना पड़े।
    • यदि संकेत भाषा निर्वचक की आवश्यकता है, तो इनकी व्यवस्था आयोजक संस्थान द्वारा करनी होगी।
    • यदि अपेक्षित हो, ज्ञान स्रोत व्यक्तियों के लिये आवश्यक तकनीकी समर्थन संस्थान सुनिश्चित करेगा।

सामान्य मार्गदर्शी सिद्धान्त:

  • सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम जिन विषयों पर सञ्चालित हो सकते हैं, उन सभी विषयों का चयन भारतीय पुनर्वास परिषद् की वैबसाइट पर उपलब्ध सतत पुनर्वास शिक्षा प्ररूप में सूचीबद्ध विषयों में से ही किया जाये। तथापि, इन सूचियों में जो विषय शामिल नहीं हैं, उन पर भी सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम करने के लिये संस्थान स्वतन्त्र हैं, परन्तु इस प्रकार के सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम की आवश्यकता का उन्हें पूर्ण औचित्य स्थापन करना हौगा, उदाहरण के लियेः
    • दिव्यांगता के क्षेत्र में हुये अधुनातम विकास से सम्बन्धित विषय, विभिन्न विधायी प्रावधान जैसे- यूएनसीआरपीडी, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016, भारतीय पुनर्वास परिषद् अधिनियम 1992, राष्ट्रीय ट्रस्ट अधिनियम 1999, शिक्षा अधिकार अधिनियम 2007, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की विभिन्न योजनायें व कार्यक्रम (आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अवरोध-मुक्त/अभिगम्य पर्यावास मार्गदर्शी सिद्धान्त 2021, एसआईपीडीए, यूडीआईडी, एडीआईपी, एनएचएफ़डीसी, डीडीआरएस, डीडीआरसी आदि), राष्ट्रीय शिक्षा नीति,2020, राष्ट्रीय क्रेडिट फ़्रेमवर्क, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा, दिव्यांगजनों के लिये नियोजनीयता कौशल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ऑनलाइन शिक्षा मार्गदर्शी सिद्धान्त, दिव्यांगता क्षेत्र से सम्बन्धित विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों के विधिक निर्णय। डीओएसईएल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद्, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद् आदि जैसे विनियामक निकायों द्वारा जारी महत्वपूर्ण अधिसूचनायें भी सतत पुनर्वास शिक्षा के विषय बन सकती हैं। इसके अतिरिक्त, यौन अपराधों के विरुद्ध बच्चों की सुरक्षा अधिनियम 2012 (पॉक्सो अधिनियम 2012) को भी इस बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये शामिल किया जा सकता है।
    • भारतीय पुनर्वास परिषद् अनेक उभरते क्षेत्रों में सतत पुनर्वास शिक्षा के कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है। ये क्षेत्र हैं: दिव्यांगता क्षेत्र में कृत्रिम मेधा का उपयोग, नयी शिक्षाशात्रीय रीतियाँ, अध्यापन एवं निदानशाला की सर्वोत्तम प्रथायें, दिव्यांगता से सम्बन्धित उत्पादों/सहायक युक्तियों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण, नियोजन के मार्ग, उद्यमशीलता कौशल, उभरते क्षेत्रों में अनुसन्धान एवं विकास, अनुसन्धान पद्धति, सहायक युक्तियों, सहाय यंत्रों एवं साधित्रों के उत्पादन में संलग्न विनिर्माणियों का कम से कम चार घण्टे का परिभ्रमण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के राष्ट्रीय संस्थानों, सीआरसी, डीडीआरएस/डीडीआरसी एवं अन्य प्रतिष्ठित श्रेष्ठ संस्थानों, प्रारम्भिक हस्तक्षेप केन्द्रों, चिकित्सालयों का परिभ्रमण तथा विदेशी विनिर्माणियों का ऑनलाइन दौरा एवं विदेशी वृत्तिकों या संस्थानों के साथ कम से कम दो घण्टे का ऑनलाइन परस्पर संवाद, आदि।
  • भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित संस्थान एक वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 04 सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम (02 ऑनलाइन एवं 02 भौतिक) आयोजित कर सकते हैं, बशर्ते कि सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों की रिपोर्ट अगले कार्यक्रम के शुरू होने से पहले प्रस्तुत कर दी जाये, और प्रतिभागियों की प्रतिपुष्टि सकारात्मक हो। राष्ट्रीय संस्थान और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सीआरसी ये कार्यक्रम अधिक संख्या में आयोजित कर सकती हैं।
  • सतत पुनर्वास शिक्षांक घण्टों की उपस्थिति के आधार पर प्रति घण्टा एक अंक की दर से भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा प्रदान किये जायेंगे। तथापि, भौतिक सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों की अवधि न्यूनतम 1 घण्टे से कुल अधिकतम 18 घण्टे तक हो सकती है। (सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम की अवधि अधिकतम 6 घण्टे प्रति दिन, और अधिकतम 3 दिन)। किन्तु, ऑनलाइन सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों को न्यूनतम 1 घण्टे से अधिकतम 4 घण्टों तक ही सञ्चालित किया जा सकता है।
  • ज्ञान स्रोत व्यक्तियों का चयन
    • ज्ञान स्रोत व्यक्तियों का चयन आयोजक संस्थान के विवेक/निर्णय पर छोड़ना ही उत्तम है। तथापि, आयोजक संस्थान यह सुनिश्चित करेगा कि चयनित ज्ञान स्रोत व्यक्ति विशेषज्ञ हैं और उनका अपने विशेज्ञता क्षेत्र / कौशल / शोध कार्य आदि में स्थापित कीर्तिमान है। यदि कार्यक्रम ऑनलाइन स्वरूप का है, तो ज्ञान स्रोत व्यक्ति को ऑनलाइन प्रस्तुति की दृष्टि से प्रौद्योगिकी की पूरी जानकारी होनी चाहिये।
    • यदि यह माना जाता है कि भारतीय पुनर्वास परिषद् के कार्यक्षेत्र की निर्धारित विशेषज्ञताओं से बाहर के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ एवं सक्रिय वृत्तिक सतत पुनर्वास शिक्षा के लिये चयनित विषय की गहरी विवेचना कर सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में उनके पास केन्द्रीय पुनर्वास संख्या न होने पर भी उन्हें आमंत्रित किया जा सकता है।
    • सतत पुनर्वास शिक्षा वैब-संगोष्ठी आयोजित करने वाले ग़ैर सरकारी संगठन यह सुनिश्चिचत करेंगे कि कम से कम 50% ज्ञान स्रोत व्यक्ति भारतीय पुनर्वास परिषद् के मान्यताप्राप्त प्रशिक्षण संस्थानों / विश्वविद्यालयों से चयनित किये जायें और उनके पास सक्रिय एवं विधिमान्य केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका संख्या है।
  • सतत पुनर्वास शिक्षा का निर्धारित अन्तर्ग्रहण – कार्यशाला / सम्मेलन / संगोष्ठी

क्रमांक

कार्यक्रम का स्तर कार्यशाला /संगोष्ठी/ सम्मेलन

अनुमोदित अन्तर्ग्रहण (अधिकतम)

अभ्युक्ति

भौतिक स्वरूप

ऑनलाइन स्वरूप

1

स्थानीय स्तर

50

 

 

 

 

250

--

2

राज्य स्तर

150

कुल सहभागिता में से 20% सहभागिता

राज्य के सम्बन्धित ज़िले से होनी चाहिये।

3

क्षेत्रीय स्तर   ( क्षेत्र   

भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा यथा परिभाषित, सूची संलग्न )

200

सम्बन्धित क्षेत्र के न्यूनतम

4 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों अभ्यर्थियों की सहभागिता अनिवार्य है।

4

राष्ट्रीय स्तर

300

न्यूनतम 8 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के सहभागियों का प्रतिनिधित्व

अनिवार्य है।

5

अन्करराष्ट्रीय स्तर

400

500

कम से कम 3 अन्य देशों के सहभागियों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य है।

  • उक्त सीमायें भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा सीधे आयोजित कार्यक्रमों के लिये लागू नहीं होंगी।
  • अनुभवात्मक / क्षेत्र परिभ्रमण श्रेणी के सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों के लिये प्रतिभागियों की अधिकतम सीमा 25 होगी। तथापि, भारतीय पुनर्वास परिषद् निर्धारित सीमा में प्रकरण-दर-प्रकरण आधार पर ढील दे सकती है।
  • ऑनलाइन / भौतिक / अनुभवात्मक कार्यक्रमों के लिये प्रतिभागी भारतीय पुनर्वास परिषद् की वैबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन देंगे। ये आवेदन सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के शुरू होने के समय तक दिये जा सकेंगे। कार्यक्रम शुरू होने के बाद कोई पञ्जीकरण नहीं होगा। इस प्रकार, अन्तिम क्षणों में आने वाले प्रतिभागियों को इतना समय रहते तो उपस्थित होना ही होगा, जिससे कार्यक्रम के प्रारम्भ से पहले उनका पञ्जीकरण हो सके।
  • शुल्क ढाँचाः प्रति अभ्यर्थी लिया जाने वाले शुल्क इस प्रकार हैः

 

क्रमांक

प्रणाली

स्थानीय/राज्य/क्षेत्रीय/राष्ट्रीय/अन्तरराष्ट्रीय )

(₹ में)

1

भौतिक सतत पुनर्वास शिक्षा

₹500 एक दिन और

₹250 दूसरे व तीसरे दिन

2

ऑनलाइन सतत पुनर्वास शिक्षा / वैब-संगोष्ठी

₹50 (प्रति घण्टा)

3

अनुभवात्मक सतत पुनर्वास शिक्षा

कोई सीमा निर्धारित नहीं

  • किसी भी कार्यक्रम को सतत पुनर्वास शिक्षा स्तर प्रदान करने के लिये न तो कोई शुल्क लिया जायेगा और न ही भारतीय पुनर्वास परिषद् संस्थानों द्वारा प्रतिभागियों से वसूले गये शुल्क में से कोई राजस्व अंश लेगी।
  • सतत पुनर्वास शिक्षा की गुणवत्ता से उपजे किसी भी विवाद के लिये आयोजक संस्थान ही ज़िम्मेवार होगा। भारतीय पुनर्वास परिषद् इस तरह के किसी भी विवाद से विधितः उन्मुक्त रहेगी।

सतत पुनर्वास शिक्षा के उपरान्त रिपोर्टों की प्रस्तुति:

  • ऑनलाइन प्रणालीः रिपोर्टें, पॉवर प्वॉइण्ट प्रस्तुतियाँ और अन्य अध्ययन सामग्री संस्थान द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत की जायेगी।
  • भौतिक प्रणालीः कार्यक्रम के दौरान व इसके समाप्त होते ही संस्थान द्वारा तत्काल रिपोर्टें, पॉवर प्वॉइण्ट प्रस्तुतियाँ, समूह स्थिर चित्र, वीडियो सामग्री, उपस्थिति पत्रक एवं मूल्यांकन पत्रक ऑनलाइन भेजे जायेंगे।
  • आयोजक संस्थान द्वारा उक्त रिपोर्टों की सफलतापूर्वक प्रस्तुति के उपरान्त ही, प्रतिभागियों को मिलने वाले सतत पुनर्वास शिक्षांक उनके खातों में जमा किये जायेंगे। साथ ही, हर प्रतिभागी और ज्ञान स्रोत व्यक्ति के प्रमाणपत्र भारतीय पुनर्वास परिषद् की वैबसाइट पर डाउनलोड के लिये उपलब्ध रहेंगे। अतः आयोजक संस्थानों को रिपोर्टों की समय रहते ऑनलाइन प्रस्तुति सुनिश्चित करनी चाहिये, ताकि कार्यक्रम के बाद दो दिनों के भीतर सभी प्रतिभागियों के खाते में उनके सतत पुनर्वास शिक्षांक जमा हो सकें। यदि आयोजक संस्थान ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करने से एक वर्ष की अवधि के लिये विवर्जित कर दिया जायेगा।

पञ्जीकरण के नवीयन हेतु अपेक्षित सतत पुनर्वास शिक्षांकः

  • 5 वर्ष से अधिक पञ्जीकरण के नवीयन के लिये कुल 100 सतत पुनर्वास शिक्षांक सञ्चित करना अपेक्षित है। इन 100 अंकों में से, अधिकतम 50 अंक ऑनलाइन वैब-संगोष्ठी के माध्यम से प्राप्त किये जा सकते हैं। सतत पुनर्वास शिक्षांक का अर्जन निम्नांकित तालिका के अनुसार होगा।
  • प्रत्येक पञ्जीकृत वृत्तिक / कार्मिक / ज्ञान स्रोत व्यक्ति हर वर्ष न्यूनतम 10 अंक एवं 50 से अनधिक अंक अर्जित कर सकता है। एक प्रतिभागी एक वर्ष में 50 सतत पुनर्वास शिक्षांक से अधिक के कार्यकलाप तो सम्पन्न कर सकता है, किन्तु उसके खाते में 50 सतत पुनर्वास शिक्षांक ही जोड़े जायेंगे। तथापि, अधिशेष अंकों के लिये सहभागिता अथवा उत्तीर्ण प्रमाणपत्र प्रदान किया जायेगा।
  • ज्ञान स्रोत व्यक्ति के तौर पर केवल सतत पुनर्वास शिक्षा सत्रों में सहभागिता, अथवा शोध-पत्र प्रस्तुति, अथवा उच्चतर शिक्षा ग्रहण आदि के आधार पर ही अर्जित सतत पुनर्वास शिक्षांक नवीयन के प्रयोजनार्थ पर्याप्त नहीं माने जायेंगे, बल्कि वैब-संगोष्ठियों में ऑनलाइन/भौतिक सहभागिता, अथवा सरकारी योजनाओं या प्रायोगिक अधिगम में भाग लेना जैसी गतिविधियों के ज़रिये न्यूनतम 30 सतत पुनर्वास शिक्षांक (100 शिक्षांकों में से) अर्जित करना भी ज़रूरी है। यह मापदण्ड 1 जनवरी 2024 से देय नवीयन शुल्क पर लागू होगा।
  • जो वृत्तिक केन्द्रीय प्नर्वास पञ्जिका में पञ्जीकरण कराने के लिये अर्हताप्राप्त हैं, उन्हें अनुमोदित पाठ्यक्रम के समापन की तारीख़ से 6 माह के भीतर परिषद् के साथ पञ्जीकरण कराना होगा।
  • सभी पञ्जीकृत पुनर्वास वृत्तिकों को 5 वर्ष में एक बार परिषद् के साथ अपने पञ्जीकरण का पुनर्नवीयन कराना होगा।
  • भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा अनुमोदित किसी उच्चतर अर्हता का अर्जन पञ्जीकरण के नवीयन के लिये विचारणीय होगा।

सतत पुनर्वास शिक्षांकः

भारतीय पुनर्वास परिषद् में पञ्जीकृत वृत्तिकों / कार्मिकों द्वारा, विभिन्न भारतीय पुनर्वास परिषद् अनुमोदित सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों में सहभागिता / पुनर्वास शिक्षा के परिवर्धन / लेख प्रकाशन आदि के फलस्वरूप जो अंक अर्जित किये जा सकते हैं, उनका विवरण निम्नांकित हैः

क्रमांक

कार्यक्रम

सहभागिता का स्तर

सतत पुनर्वास शिक्षांक

अभ्युक्ति

1

राष्ट्रीय स्तर के वार्षिक सम्मेलन

(1-3 दिन)

ज्ञान स्रोत व्यक्ति / आधार वक्ता

15

(per session of 2 hours)

Not more than 15 points maximum per conference

Paper Presentation

10

Maximum of 10 points

Poster Presentation

10

Maximum of 10 points

Participants

01 point Per hour

Maximum 6 points per day

2

International Conference

(1 – 3 days)

Resource person/

Keynote Speaker

15

(per session of 2 hours)

Not more than 15 points maximum

per conference

Paper Presentation

10

Maximum of 10 points

Poster Presentation

10

Maximum of 10 points

Participants

1.5 point Per hour

Maximum 8 point Per day

3

Seminar/ Conference at Local / District level/ State/ Zonal    level

(1 hour – 18 hours)

Resource Person

10

Not     more    than    20     points    per

Workshop

Coordinator

05

Per day

Participants

06

Per day

4

Workshop                 at State/Zonal level (Knowledge based/ Hands on Practical training)

Instructor

10

Not     more    than    20     points    per

workshop

Coordinator

05

Per day

Participants

01 point Per

hour

Maximum 6 points per day

5

Experiential / Field visit

Instructor

10

Not     more    than    20     points    per

workshop

Coordinator

05

Per day

Participants

01 point Per

hour

Maximum 6 points per day

10

Per day for   participants   of   North

Eastern States / J&K /Leh-Ladkh (maximum 20 points)

6

Research Projects

Project Investigator

20

Award of points shall be after the

completion of the project

Co-investigator

15

7

Publications in peer reviewed /indexed journals in the field

of disability

First       /        Single                /

Corresponding Author

10

Additional 10 points for publication in indexed international journals

Second and   any   other author

6

Additional 10 points for publication in indexed international journals

a

Writing a Book

 

20

 

b

Writing of Chapter

 

10

c

Editing of Book / Journal

 

20

8

Ph.D.

 

25

 

9

Any fellowship for other than degree purpose

 

20

 

10

Attending        Experts

Committee Meetings of RCI

 

01 point Per hour

Maximum 6 points per day

 

पूर्व-सतत पुनर्वास शिक्षांकः जो विद्यार्थी भारतीय पुनर्वास परिषद्-अनुमोदित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का अनुशीलन कर रहे हैं, उन विद्यार्थियों को सतत पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रमों (ऑनलाइन, भौतिक, अनुभवात्मक) में उपस्थित रहने के लिये भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा पूर्व-सतत पुनर्वास शिक्षांक प्रति वर्ष अधिकतम 10 अंक के हिसाब से स्वीकृत किये जायेंगे। जब विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम की सफलतापूर्वक समाप्ति पर भारतीय पुनर्वास परिषद् से अपनी केन्द्रीय पुनर्वास पञ्जिका संख्या प्राप्त करेंगे, तब ये अंक उनके खाते में जोड़ दिये जायेंगे। भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा सीधे सञ्चालित कार्यक्रमों के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा।